सब कर लिया पर वजन
कम नहीं हो रहा? वजह कहीं ये तो नहीं?
डाइटिंग कर ली, जिम ज्वॉइन कर लिया, ग्रीन टी भी ले आए, पर फिर भी वज़न कम नहीं हो रहा न? घबराइए मत! ये सिर्फ आपके साथ नहीं हो रहा है। ऐसा अधिकतर लोगों के साथ होता है। बढते वजन की चिंता के कारण लोग आनन-फानन में कई तरह की विधियाँ अपनाते हैं। लेकिन कोई भी तरीका काम नहीं करता। वज़न उतने का उतना ही रहता है या फिर बस उन्नीस-बीस का अंतर आता है। दरअसल हम कभी ये समझते ही नहीं कि वजन बढता क्यों है। वैसे ही जैसे बाल सफेद होने पर हम कई तरह के तेल और शैंपू आजमाने लगते हैं बिना ये जाने कि बालों के सफेद होने का कारण क्या है।
अनजाने में हम कई ऐसी चीजें खा लेते हैं जो बाद में हमारे स्वास्थ्य को कई प्रकार से हानि पहुँचाती हैं। टॉक्सिन भी उन्हीं में से एक हैं। टॉक्सिन यानी वो पदार्थ जो शरीर के भीतर विष जैसा प्रभाव डालते हैं। ये कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे पॉल्यूटेंट्स यानी प्रदूषक, सिंथेटिक रसायन, विविध प्रकार की भारी धातुएँ और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ। एक बार शरीर में प्रवेश करने पर ये स्वास्थ्य पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि आपके वजन कम न होने का कारण टॉक्सिन्स तो नहीं?
एडिपोज़ टिश्यू (वसा ऊतक) हमारी त्वचा का सबसे अंदरूनी भाग होता है जहाँ फैट जमा होता है। ये टॉक्सिन्स भी हमारे शरीर में इसी एडिपोज़ टिश्यू में जमा होता रहता है और आसानी से निकलता नहीं। यही वजह है कि वजन कम करने के सारे तरीके निरर्थक ही साबित होते हैं। ऐसे में वजन कम करने के लिए एक ही कारगर तरीका बचता है— डिटॉक्स। आसान भाषा में कहें तो विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना।
वैसे तो शरीर को डिटॉक्स करने के कई तरीके प्रचलित हैं जैसे पानी का अधिक सेवन, उपवास (फास्टिंग), किसी विशेष पोषक तत्व को डाइट में शामिल करना या हटाना आदि। हालांकि अधिकतम लाभ लेने के लिए विशेषज्ञ डाइटीशयन की मदद से एक समग्र डाइट प्लान को फॉलो करना चाहिए।
डिटॉक्स से वजन कम कैसे होता है?
अधिकतर लोगों का ये सवाल रहता है कि आखिर डिटॉक्स से वजन कम कैसे होता है। इसे समझने के लिए शरीर की अंदरूनी प्रक्रिया को समझना पड़ेगा। आमतौर पर डिटॉक्स से जुड़ी गतिविधियों में परहेज़ करना, उपवास करना, विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करना (जैसे फल, सब्जियाँ, जूस, जड़ी-बूटियाँ आदि) या विशिष्ट खाद्य पदार्थों (जैसे वसा, कार्बोहाइड्रेट) से परहेज करना, बड़ी आंत की सफाई, केलेशन थेरेपी शामिल हैं।
शरीर को कार्य करने के लिए ऊर्जा चाहिए जो उसे ग्लूकोज़ के ऑक्सीडेशन से मिलती है। डिटॉक्स डाइट के प्लान के अंतर्गत जब शरीर को वसा नहीं दिया जाता तो शरीर एडिपोज टिश्यू में संचित वसा को रूपांतरित करके ग्लूकोज बना देता है। जब संचित वसा यानी स्टोर्ड फैट बर्न होने लगता है तो वसा में जमा "विषाक्त पदार्थ" यानी टॉक्सिन्स रक्त में प्रवाहित हो जाते हैं जिन्हें बाद में रक्त, त्वचा, मूत्र, मल और सांस के माध्यम से शरीर से बाहर किया जाता है।